पत्र लेखन कितना कठिन था
पहले कभी समस्या न थी
अब तो यह भी भूल गए
संबोधन किसे कैसे करें |
जब से दूर भाष यंत्र का
प्रयोग हुआ प्रारम्भ
लिखने की गति भी
बाधित हुई है |
यह कठिनाई बढ़ती गई
जब परीक्षा में पत्र लिखना होता
मुश्किल से पांच अंकों में से
दो अंक ही प्राप्त होते है |
अब तो “u” से ही काम चल जाता है
“you” के स्थान पर
पूरा नाम क्यों लिखें जब
दस्तखत से ही काम चले |
लिखने से बचने के लिए
कई साधन हैं उपलब्ध अब
लगने लगा है अब तो
लिपि भी कहीं खो जाए ना |
अक्षर आँखों के आगे
गोल गोल घूमेंगे
फिर भी समझ में न आएगा
क्या लिखना चाहा और क्या लिखा है |
सुन्दर और शुद्ध लेखन कल्पना में
रह गया है केवल
कोई अहमियत नहीं रही उसकी
शिक्षा सतही हो गई है |
भाषा का अधोपतन
और कितना होगा
खिचड़ी भाषा बोलने में
कोई शर्म नहीं आती |
यह शान की बात होती है कि
प्रत्येक वाक्य में
आधी अंग्रेजी आधी हिन्दी
बोली जाती है |
भाषा की शुद्धता की क्या बात करें
भाषा में मिलावट दाल में कंकड़ सी हुई
मन का संताप नहीं मिटता
यह हाल भाषा का देख |
बड़ी बड़ी बातें की जाती
भाषा के अधोपतन की
उससे बचने के लिए उन्नति के लिए
भाषा की प्रगति के लिए |
आशा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
सुंदर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसार्थक चिंतन ! सशक्त रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |