चलते चलो कदम बढ़ाओ
राह में रुकना नहीं
अनवरत चलो उत्साह
से
पीछे पलट कर न देखना
|
जब तुमने कुछ किया
ही नहीं
फिर मन को भय कैसा
खुद पर आत्म बल
और विश्वास रखो |
जब भी कोई गलत काम करते
हो
खुद का मन ही तुम्हें
कोसता है
ईश्वर का दण्ड अपने
आप ही मिलता है
प्रभु सब की निगरानी
करता |
कोई पुरूस्कार तुरंत
नहीं मिलती
लिख जाता है
भाग्य में
आवश्यक हो तभी मिलता
पुरूस्कार की आहट
होती रहती |
खुद के पाप पुन्यों
का निर्णय
होता है यहीं इस लोक
में
जन्म से खाली हाथ आए
हो
अब खाली हाथ ही
जाओगे |
साथ कुछ न ले जाओगे
अच्छे बुरे कर्मों
का लेखा जोखा
है परमेश्वर के पास
जाओगे स्वर्ग या नरक
में उसे सब पता |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 04 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
स्वर्ग में जाना है या नर्क में यह ईश्वर के बजाय खुद को पता होना चाहिए ! हमारे अपने कर्म ही हमें संकेत दे देते हैं कि हमारा आख़िरी आवास कहाँ बनेगा स्वर्ग में या नर्क में ! बढ़िया मंथन योग्य रचना !
हटाएंधन्यवाद साधना
हटाएंसुप्रभात
हटाएंआभार यशोदा जी मेरी रचना को" पांच लिंकों का आनन्द "में स्थान देने के लिए |
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद विकास जी टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर एवं सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |
बिलकुल सही कहा आपने...सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद रेवा जी टिप्पणी के लिए |
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |