30 जनवरी, 2022

किसी से प्यार न कीजे



किसी से ऐसा प्यार न कीजे

जब तक उससे स्वीकृति न लीजे

यदि किया ऐसा टूट जाओगे

हो कतरा कतरा बिखर जाओगे |

कोई तुम्हारा साथ न देगा

जिसने यह नेक सलाह दी थी

 बिना प्यार सब सूना लगता

अब  मन कहता प्रभु से प्यार करो

 यही सन्मार्ग दिखाता सब को  |  

बातें जो मन को  भटकातीं शोभा नहीं देतीं

जब सजा मिली इनकी वह मित्र भी  दूर हुआ

कहलवाया उसने  वह मजबूर था

सही सलाह न दे पाया  

उसने भी समझ लिया पहचान लिया 

 अपने उस  सतही मित्र को

 जो बड़ी बड़ी बातें करता था

किया पलायन उसने  क्षण भर में |

आवश्यकता  पड़ने पर किसी ने

मदद न की थी   

अब तो सलाहों का भी

टोटा हुआ क्या करे?  

मन को पाश्च्याताप हुआ

लज्जा आई खुद पर |

 की आराधना प्रभु की  

 गुहार लगाई सही राह दिखलाने को   

अपने विचारों पर

 खुद ही हुआ शर्मिन्दा |

उसकी भक्ति में ही हुआ लीन  

अब ईश्वर का वरधहस्त है सर पर 

प्रभु के सिवाय किसी से

मदद न लेने की कसम खाई है |

आशा 

2 टिप्‍पणियां:

  1. हर आपदा में सच्चा सहायक वह ऊपर वाला ही होता है !
    नैया तेरी राम हवाले
    लहर लहर हरि आप सँवारे !
    सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

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