05 जनवरी, 2022

मन क्या सोचता


                                                                  कोरा  कागज़

कलम और स्याही

अब क्या लिखूं

 विचार शून्य हुआ

क्यों है किस कारण

दिल उदास

हुआ जाता बेरंग

जिन्दगी देख

देखे जीवन रंग

 स्थाइत्व नहीं

जीवन में रहता

वह बहता 

 जाना चाहता कभी

यहीं रहना  

सरिता की गति ही  

मंथर होती   

रहती न एकसी

 जब जाना हो    

अधर में झूलता

राह खोजता

अपनी आने वाली

योनी  के लिए

आगे क्या होगा

कहाँ होगा ठिकाना

नहीं जानता |

आशा 


2 टिप्‍पणियां:

  1. मन में ऐसी ही उथल पुथल रहती है जब चिंतन के लिए कोई सार्थक विषय न हो !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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