कोरा कागज़
कलम और स्याही
अब क्या लिखूं
विचार शून्य हुआ
क्यों है किस कारण
दिल उदास
हुआ जाता बेरंग
जिन्दगी देख
देखे जीवन रंग
स्थाइत्व नहीं
जीवन में रहता
वह बहता
जाना चाहता कभी
यहीं रहना
सरिता की गति ही
मंथर होती
रहती न एकसी
जब जाना हो
अधर में झूलता
राह खोजता
अपनी आने वाली
योनी के लिए
आगे क्या होगा
कहाँ होगा ठिकाना
नहीं जानता |
आशा
मन में ऐसी ही उथल पुथल रहती है जब चिंतन के लिए कोई सार्थक विषय न हो !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |