22 जनवरी, 2022

आज है मन उदास उसका


 

              आज है उसका मन  उदास

               किस कारण जान न पाई

                किसी ने कुछ कहा नहीं

ना उसने किसी से पाला बैर |

दो बोल प्यार के भी कड़वे लगते  

ऐसा भी होता है  कभी सोचा नहीं

अब इतनी उग्रता आई  कैसे 

आया मन में दुराग्रह क्यूं किस लिए |

 यही अर्थ समझ में आया

जब उसने स्नेह जताया था

तब कोई महत्व नहीं था उसका

जितनी बार किया ध्यान आकर्षित

उतनी ही बार नकारा गया उसको  |

यही   समझ में आया

कोई जगह नहीं थी रिक्त

उसके मन मस्तिष्क में |

अब है केवल एक दिखावा

पहले घुमते खाते थे

 एक साथ रहते थे

 हर बात सांझा  करते थे |

अब यह बात नहीं रही है

 छल कपट ने ले लिया है स्थान  

 पहले की प्रेम भरी बातों का

सब दिखावा है सत्यता कुछ भी नहीं |

आशा

 

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सब मन की उलझन है ! धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता है ! सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    जवाब देंहटाएं
  3. मन में भावनाओं का आरोह अवरोह स्वाभाविक है।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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