इस छोटे से जीवन के सभी लम्हें
अपनी यादे छोड़ जाते
वे ही होते संचित धरोहर जीवन के
कोई नहीं बचता जिससे |
होती यादें वेशकीमती
कोई इसे भुलाना न चाहता
हैं एकांत बिताने की हसीन सामग्री
कई सलाहें शिक्षाएं समाहित होतीं इन में |
फिर रिक्तता नहीं रहती जीवन में
जब जीवन के अंतिम पड़ाव पर ठहरते
होते अपनों से दूर उन्हें याद करते
यादों में सब धूमते रहते आसपास |
कभी एहसास तक न होने देते
कहाँ गलती हुई हम से
यदि यही सब जानते मन मंथन करते
कठिनाइयां सरलता से सुलझ पातीं |
क्षमा प्रार्थी होते अपनी भूलों पर
पशेमा होते
सीमाएं अपनी जान कर अपनी हद में रहते
असामाजिक न होते किसी से बैर न पालते
हमारी भी खुशहाल जिन्दगी होती |
यही धरोहर पीढ़ियों तक चलती
भूलें जो हमसे हुईं आने वाली पीढ़ी न करती
हम ऐसी शिक्षा देते कि
अनुकरण की मिसाल बनते
वर्षों तक याद किये जाते |
आशा
चिंतन परक सार्थक रचना ! हर इंसान अपनी भूलों से ही सबक लेता है !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |