18 फ़रवरी, 2022

धरोहर यादों की


 

इस छोटे से जीवन के सभी लम्हें

अपनी यादे छोड़ जाते

वे ही होते संचित धरोहर जीवन के

कोई नहीं बचता जिससे |

होती यादें वेशकीमती 

कोई इसे भुलाना न चाहता

हैं एकांत बिताने की हसीन सामग्री

कई सलाहें शिक्षाएं समाहित होतीं इन में |

 फिर रिक्तता  नहीं रहती जीवन में

  जब जीवन के अंतिम पड़ाव पर ठहरते

 होते अपनों से दूर उन्हें याद करते  

यादों में सब धूमते रहते आसपास |

कभी एहसास तक न होने देते   

कहाँ गलती हुई हम से

यदि यही सब जानते मन मंथन करते  

कठिनाइयां सरलता से सुलझ पातीं  |

 क्षमा प्रार्थी होते अपनी भूलों पर पशेमा होते   

 सीमाएं अपनी जान कर अपनी हद में रहते

 असामाजिक न होते किसी से बैर न पालते

हमारी भी खुशहाल जिन्दगी होती |

यही धरोहर पीढ़ियों तक चलती

भूलें जो हमसे हुईं आने वाली पीढ़ी न करती

हम ऐसी शिक्षा  देते कि

अनुकरण की मिसाल बनते

वर्षों तक याद किये जाते |

आशा 

2 टिप्‍पणियां:

  1. चिंतन परक सार्थक रचना ! हर इंसान अपनी भूलों से ही सबक लेता है !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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