18 फ़रवरी, 2022

परिवर्तन



 

आज के युग में  

बहुत कुछ बदल गया 

             उनके सोच में 

 बड़ा परिवर्तन हुआ है |

उनने भी यह जानना नहीं चाहा

यह बदलाव क्यूँ ?

हुआ यह कैसे किसकी सोहवत में

यह तक न सोचा |

ऎसी आधुनिकता की हवा चली  

उसमें बह कर कहाँ चले जान न पाए 

 आज   के मंजर की झलक चहु ओर फैली है

पहले क्या थे यह तक भूल गए |

धधकती आग सी मन बेचैन करती

बरसों की शिक्षा व्यर्थ हुई आज 

केवल अंधानुकरण ही रहा शेष

आज के युग में |

मन में क्षोभ होता है दिल कसकता है 

हमारे पालन पर जब सवाल उठते हमने 

अति  अनुशासन में रखा बच्चों को

बचपन उनका छींन लिया |

आज वे यह तक भूले

 पेट काट काट पाला था उन्हे

सीमित आय थी तब भी

हम अपनी मर्यादा में रहे |

धनवानों की सोहवत नहीं की

अपनी चाहतों पर  रखा नियंत्रण  

पर उनके लिए कोई कमी नहीं की     

केवल आज की तरह कर्ज में न डूबे |

आधुनिकता का भूत न उतरा सर से 

अपनी क्षमता की सीमा न भूले

आत्मनिर्भर बनाया अपने कर्तव्य पूरे किये    तभी चिंता मुक्त हुए  |

आशा   

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