16 फ़रवरी, 2022

आत्म मंथन


 

इस छोटे से जीवन के लम्हें

अपनी यादे छोड़ जाते

वे होते संचित धन जीवन के

कोई नहीं बचता जिससे |

होती यादें वेशकीमती अनमोल  

कोई इन्हें  भुलाना न चाहता

हैं एकांत बिताने की प्यारी सी सामग्री

कई सलाहें शिक्षाएं समाहित होतीं इन में |

 फिर रिक्तता  नहीं रहती जीवन में

  जब जीवन के अंतिम पड़ाव पर ठहरते

 या होते अपनों से दूर उन्हें याद करते  

यादों में सब धूमते रहते आसपास |

कभी एहसास तक न होने देते   

कहाँ गलती हुई हम से

यदि यही सब जानते आत्म मंथन करते  

कठिनाइयां सरलता से सुलझ पातीं  |

 क्षमा मांगते अपनी भूलों का करते आकलन        सीमाएं अपनी जान अपनी हद में रहते

 असामाजिक न होते किसी से बैर न पालते

हमारी भी खुशहाल जिन्दगी होती |

यही धरोहर पीढ़ियों तक चलती

भूलें जो हमसे हुईं आने वाली पीढ़ी न करती

हम ऐसी शिक्षा  देते कि

अनुकरण की मिसाल बनते

वर्षों तक याद किये जाते |

आशा  






10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात धन्यवाद टिप्पणी के लिए आलोक जी |

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4344 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी आमद का इंतजार रहेगा|
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  3. सुप्रभात
    धन्यवाद टिप्पणी के लिए ज्योति जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    आभार रविन्द्र जी मेरी रचना को आज के पांच लिंकों का आनंद अंक में स्थान देने की सूचना के लिए |

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  5. यदि यही सब जानते आत्म मंथन करते

    कठिनाइयां सरलता से सुलझ पातीं |

    वाक़ई आत्म मंथन बहुत ज़रूरी है

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  6. आत्म-मंथन से सुलझती हैं क्ई उलझनें, हल होते हैं मसले ।
    अच्छी बात याद दिलाई आपने ।

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  7. इंसान से भूलें होना स्वाभाविक है ! उन भूलों को सुधारना आवश्यक है ! उनका गहन अध्ययन कर उन्हें ठीक किया जा सकता है ताकि आगे की राह आसान हो जाए !

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