23 फ़रवरी, 2022

गहराई है रात

गहराई है रात 
कोरोना की लहर 
 फिर से उभार आई है  

हुत उदासी छाई है |

मरीजों की लंबी कतारें 

 दीखती अस्पतालों में  

वहां भी  जगह नहीं है

वे सो रहे जमीन पर | 

जाने कितनी व्यस्थाएं

 की है सरकार ने 

फिर भी संतुष्टि नहीं 

जनता जनार्दन में |

 हर समय कमियाँ उसकी

 गिनवाई जातीं हैं 

कहाँ कमीं रह जाती है

नियम पालन करवाने में |

स्पष्ट निर्देश तक नहीं दिए जाते   

केवल भय बना देने से

 कुछ नहीं होता

 कोई हल नहीं निकलता |

 दिखा कर सारे नियम

स्पष्ट करने होते है

कहना है बहुत सरल 

पर पालन उतना ही जटिल |

मन को मारना पड़ता है

कुछ नया सीखने में   

लौकडाउन में घर पर रहना

लगता उम्र कैद जैसा |  

आशा  

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4351 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
    सादर धन्यवाद
    दिलबाग

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    उत्तर
    1. सुप्रभात

      आभार दिलबाग जी आज के चर्चामंच में स्थान देने के लिए मेरी रचना को |
      आभार

      हटाएं
  2. अपनी सुरक्षा आपके हाथ में हैं ! बीमारी से बचने के लिए क्या करना है क्या नहीं इसकी सूचनाएं दिन में अनेकों बार दोहराई जाती हैं लेकिन कोई भी इन सावधानियों को नहीं बरतता लेकिन ज़रा सा भी कुछ होने पर सरकार को दोष देने से कोई नहीं चूकता ! लोग क्या दूध पीते बच्चे हैं ? ऐसे नादाँ लोगों का ईश्वर भी सहायक नहीं होता !

    जवाब देंहटाएं

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