प्यार की हथकड़ी बेड़ी
जब लगी बंधन में बंधी
कष्ट हुआ अनजाने लोगों में
पर मन में मिठास घुली |
उन हथकड़ियों ने धीरे से
कब अपनी जगह बनाली
चूड़ियों खन खन बोलतीं
अपनी उपस्थिति दर्ज करातीं |
पैर भी सूने नहीं रहते
उनकी भी बेड़ियाँ बोलतीं
जब भी पैर हिलते
पायल बिछिये के घुँघरू बजते |
उन हथकड़ी बेड़ी की
है एक ही विशेषता
उनके बंधन हैं ऐच्छिक
कोई जोर जबरदस्ती नहीं |
जन्म जन्मान्तर तक रखना है
इन्हें जतन से कहीं खो न जाएं
बंधन जब पुराना होगा
प्यार की मिठास बढ़ेगी |
हाथों पैरों की शोभा
दो गुनी हो गई
सिन्दूर बिंदी का आकर्षण
चौगुना हुआ जब मेंहदी लगाई |
सजने सवरने पर
सौंदर्य निखर कर आया है
अनोखी छवि लाल साड़ी वाली
नई नवेली दुल्हन ही है |
आशा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुप्रभात
हटाएंआभार आपका यशोदा जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
बंधन जब पुराना होगा
जवाब देंहटाएंप्यार की मिठास बढ़ेगी |
–सत्य कथन... उम्र का अनुभव यही समझाता है
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद विभा जी टिप्पणी के लिए |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |
वाह ! बहुत सुन्दर चित्रण ! सुन्दर सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
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