05 फ़रवरी, 2022

फूल और कांटे


 

फूल और कांटे एक साथ रहते

कभी साथ न छोड़ते

भ्रमर तितलियाँ गातीं गुनगुनातीं

पास आ मौसम का आनंद उठातीं |

 जब भी पुष्पों पर आता संकट

कंटक उनकी करते रक्षा

खरोंच तक न आने देते  

सदा साथ बने रहते |

होते इतने होशियार कंटक

अपना कर्तव्य निभाने में  

कोई फूल तक न पहुँच पाता

उनसे बच कर जा न पाता |

जो प्यार पुष्पों से करता

कैसे भूलता संरक्षक काँटों को

कितना बचता कैसे बचता 

उनसे  दूर न रह पाता |

स्नेह तनिक भी कम न होता  

वह  धन्यवाद देना न भूलता

 कंटकों को पूरी क्षमता से 

अपना कर्तव्य निभाने के लिए |

 आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-2-22) को "शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो"(चर्चा अंक 4333)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. आदरणीया आशा जी, आपने सही लिखा है, कंटक है, तभी फूलों का सौंदर्य सुरक्षित है। हार्दिक साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ

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  3. सुप्रभात
    धन्यवाद टिप्पणी के लिए मर्मग्य जी |

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  4. कोमल वस्तु की रक्षा कठोर बन कर ही की जा सकती है।
    बहुत सुंदर रचना।
    समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला

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  5. कोमल और कठोर के सह अस्तित्व का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं फूल और काँटे ! दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ! सुन्दर रचना !

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