06 फ़रवरी, 2022

मन की बेचैनी

 



मन हुआ बेकल बेचैन

 कोई कार्य सम्पन्न न कर पाया

किसी कार्य से न जुड़ कर

 खुद का आकलन न कर पाया  |

 आस्था की ओढ़ी चादर

बहने लगा  भक्ति की नदिया में

मन को व्यस्त रखने को  

बेचैनी से बचने को |

सरिता की गति सी बहा बहता गया   

तेज बहाव की गति के तालमेल के साथ

भक्ति की नैया में हो कर  सवार

 किनारा कब आएगा आज तक  पता नहीं |

जब उम्र का यह पड़ाव भी पार किया

मन में हुई उथलपुथल बेहद

जाने कब बुलावा आ जाए

हलचल है दिल में कुछ भी निश्चित नहीं |

2 टिप्‍पणियां:

  1. अनदेखे भविष्य की चिंता में न घुल कर वर्तमान को पूरी तरह से जीना चाहिए ! जो होना है समय आने पर हो ही जाएगा ! अपना आज उसके लिए चिंता में घुल कर क्यों बर्बाद किया जाए !

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