20 मार्च, 2022

प्रेम


 

प्रेम के कई रंग देखे

बचपन से आज तक

जब जन्म हुआ

अपूर्व प्रेम माँ का मिला

थोड़े बड़े हुए

 मित्रों के प्रेम कासिलसिला चला |

यौवन आते ही शादी की बातो ने उलझाया

पति के प्रेम का सुख पाया

परिवार से रिश्तों को समझा

एक नया प्रेम का रूप दिखा |

आज जब जीवन के 

अंतिम पड़ाव पर ठहरी हूँ

भगवत भजन की लौ लगी है 

आध्यात्म से प्रेम हुआ है

मैंने ईश्वर में ध्यान लगाया है |

और न जाने कितने प्रेम है दुनिया में

उनकी दुनिया है कितनी विस्तृत

इसकी थाह नहीं मिलती|

प्रेम की व्याख 

शब्दों में करना

 सरल नहीं

मेरे बस की बात नहीं है |

प्रकृति प्रेम .पशु पक्षियों से प्रेम

पर्यावरण प्रेम 

और न जाने कितने प्रेम हैं 

अभी तो इतना ही अनुभव है |

आशा

  

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम के अनेकों रूप अनेकों रंग होते हैं और सारे ही बहुत अद्भुत और सुन्दर होते हैं ! उन्हीं को जीना चाहिए और खुद को सराहना चाहिए कि प्रभु ने हमें यह अनमोल सौगात दी ! बहुत सुन्दर रचना !

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