29 मार्च, 2022

चाह मेरी

   


हो स्याही काजल सी काली  

या हो लाल रक्त सी

दिल का कागज़ कोरा न रहेगा

कुछ तो लिखा ही जाएगा |

जो मन  को भाएगा 

जिसमें  भावनाओं का रंग होगा

दिलों का मिलन होगा 

 शब्दों का संगम होगा |

प्यार की खुशबू होगी

  महफिल में तालियाँ बजेंगी

 हौसला अफजाई होगी

 मेरी आवाज की गूँज होगी |

 शायद मुझे गलतफहमी हुई है 

कि मैं एक सफल कलाकार हूँ  

या है चाह मेरी उड़ने की नीलाम्बर  में

किसको पता है चाह कब पूर्ण होगी |

आशा 

 




10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (30-03-2022) को चर्चा मंच       "कटुक वचन मत बोलना"   (चर्चा अंक-4385)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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    1. सुप्रभात
      आभार सर मेरी रचना की चर्चामंच के आज के अंक में स्थान देने के लिए |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

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  3. और कितना उड़ेंगी ! जिन ऊँचाइयों पर आप हैं वहाँ तो परिंदे भी नहीं पहुँच पाते ! कभी झुक कर नीचे भी देख लिया करिए ! हा हा हा !

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  4. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मजेदार टिप्पणी के लिए |

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  5. हर चाह कभी न कभी पूर्ण हो ही जाती है

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए |

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  6. उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए |

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