नसीब अपना अपना -
जितनी जल्दी सब मिला
मेरे मन का मयूर खिला
जितने थे अरमान
सिमट कर न रहे मन में |
किसी की नजर न लगे
मेरे भाग्य पर ग्रहण न लग जाए
बिना मांगे मुझे वह सब मिला है
जिसकी न थी कभी कल्पना मुझे |
कमल का फूल खिला है
मेरे मन मंदिर के अन्दर
यहीं जाकर किसी से यह सब
मांगने का मन होता है |
मैंने ध्यान किया प्रभु का
विश्वास किया अपने भाग्य पर
बिना मांगे सब कुछ मिला
है यही नसीब अपना अपना |
आशा
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सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सरिता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंभाग्यशाली होते हैं वो जिन्हें मन चाहा अभीष्ट मिल जाता है ! अभिनंदन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति जी टिप्पणी के लिए |
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