26 मार्च, 2022

बेखुदी



यह क्या किया ?

तुमने उसे  भुलाया बेखुदी में

सोचने समझने का 

अवसर तक न दिया |

तुम्हारी बेखुदी अकेले 

उसे रास न आई

अधर में लटकी रही 

 ना जीने दिया ना मरने दिया |

उसने अपना आपा खोया

 दुनियादारी से नाता तोड़ा

 डूबी रही बेखुदी में 

अपने दिल की गहराई में |

उसने क्या गलत किया था

जिसकी सजा दी तुमने उसे 

वह खोई बढ़ती का रही 

काँटों से भरी अनजानी गलियों में|

तुम बातें तक नहीं करते

सदा गुमसुम रहते

ऎसी बेखुदी किस काम की 

तुमने उसे भुलाया | 

उसने अपनी उलझनों की

 हवा तक न लगने दी तुम्हें 

 सदा हंसती रही खिलखिलाती रही

 पर बेखुदी में तुम भूले उसे |

आशा 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-3-22) को "घर में फूल की क्यारी रखना.."(चर्चा-अंक 4382)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार कामिनी जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया ! सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार सहित धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए | \

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: