१-क्यों
मिलाए है
नैनों से नैन
जब चाहा
नहीं
२- वह
नहीं चाहता
कोई उससे मिले
करे अशांत
मुझे |
३-समंदर
है अनुपम
गहराई नापी नहीं
अपनाई जाती
उसकी |
४-मुझे
तुमसे भी
कोई बैर नहीं
मुझसे प्रेम
करोगे |
भवसागर में
माया मोह से
निकली नहीं
अभी |
६-ख़याल
मुझे अपना
आया नहीं कभी
यह क्या
हुआ |
७- नहीं
आत्मनिर्भर हुए
हैं स्वतंत्र नागरिक
नहीं परतंत्र
हम
आशा
सायली छंद में सुन्दर प्रयास ! बढ़िया अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2-4-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4388 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उस्थिति चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
आभार दिलबाग जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
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