01 अप्रैल, 2022

सायली छंद (५)

 

१-क्यों

मिलाए  है

नैनों से नैन

 जब चाहा

नहीं

२- वह  

नहीं चाहता

कोई उससे  मिले

करे अशांत

मुझे |

 

 

३-समंदर

है अनुपम   

गहराई नापी नहीं

अपनाई जाती  

उसकी |

४-मुझे

तुमसे भी  

कोई बैर नहीं  

मुझसे प्रेम

करोगे |

 ५-खोई  

भवसागर  में   

माया मोह से   

निकली  नहीं

अभी  |

६-ख़याल

मुझे अपना

आया नहीं कभी

यह क्या

हुआ |

७- नहीं 

आत्मनिर्भर हुए  

हैं स्वतंत्र नागरिक 

नहीं परतंत्र 

हम  


आशा


4 टिप्‍पणियां:

  1. सायली छंद में सुन्दर प्रयास ! बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2-4-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4388 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उस्थिति चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार दिलबाग जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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