मेरे ख्यालों में तुम बसे हो
ध्यान कभी भटका नहीं
यही एकाग्र चित्त होना है
पर तुमने जाना नहीं |
मुझे तुमसे है लगाव कितना गहरा
जाने किस जन्म का
मैंने खोजना भी चाहा
पर खोज अधूरी रही |
यह जीवन कब पाया कैसे पाया
कितने जतन किये होंगे
आकलन तक न कर पाई
मन में मलाल रहा |
जीवन धन्य हो जाता मेरा
तुम्हारा साथ जन्म जन्मान्तर तक पाती
दूरी न होती तुमसे ज़रा भी
यह जीवन सफल हो जाता मेरा |
आशा
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
वाह ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |