18 अप्रैल, 2022

मैंने क्या आकलन किया

 



मेरे ख्यालों  में तुम बसे हो

ध्यान कभी भटका नहीं

यही एकाग्र चित्त होना है

पर तुमने जाना नहीं |

मुझे तुमसे है लगाव कितना गहरा

जाने किस जन्म का

मैंने खोजना भी चाहा

पर खोज अधूरी रही |

यह जीवन कब पाया कैसे पाया

कितने जतन किये होंगे

आकलन तक न कर पाई

मन में मलाल रहा |

जीवन धन्य हो जाता मेरा 

तुम्हारा साथ जन्म जन्मान्तर तक पाती  

दूरी न होती तुमसे ज़रा भी

 यह  जीवन सफल हो जाता मेरा  |

आशा 

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