मैंने क्या सोचा
क्यों किसी को दिल दिया?
प्यार किस चिड़िया को कहा
अब तक अर्थ न समझा |
दूर के ढोल सुहाने लगते
कहावत सही नजर आई
जब उस के प्यार ने
सर पर चढ़ घंटी बजाई |
जितने भी अनुभव हुए
मन को दुखी करते गए
कोई मिठास नहीं थी
उन शब्दों की टोकरी में |
मैंने तो फूल चुने थे
सुन्दर और सुगन्धित
पुष्प गुच्छ बनाने को
कैसे बदलाव आया अनोखा |
न गंध है न सौन्दर्य
उस ढाई अक्षर में
पर फिर भी सारा जग बहका
प्यार के चक्कर में |
जीवन में होती इसकी भी
जररूरत
भोजन जल मकान जैसी
बिन पानी .भोजन ,सर पर छत के बिना
जीना मुश्किल हुआ जाता है
कैसे क्या करें रोएँ या हंसे
प्यार के दर्शन बिना प्राण
अधर में लटक जाता है |
यही प्रश्न मन को बेचैन
किये रहते
किसे दूं प्राथमिकता
भावनाओं को या यथार्थ को
अब तक निश्चित नहीं कर पाई|
सभी के ख्याल जाने
पर फिर भी निष्कार्ष नही
निकला
क्या है जरूरी खुशहाल जिन्दगी के लिए |
आशा
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