21 अप्रैल, 2022

नियामत बक्शी प्रभु ने


 



ईश्वर ने यह रूप  दिया हैं तुम्हें 

तुमने कुछ चाहा नहीं

 न की अपेक्षा कोई उससे

तुम सरल चित्त हो तभी |

 कोमल भावों से भरा

 है मन तुम्हार 

 जब भी की प्रार्थना ईश्वर से

 यही मांगा परमात्मा से

सब मानव रहे सदा सुख से |

हो मानव जाति का

 कल्याण सदा  

भव सागर हो पार

 सरलता से

छल छिद्र निकट ना आवें

मोह माया से रहें दूर |

सदा रहें व्यस्त सदकर्मों में  

मन कर्म  बचन में हो शुद्धता

सभी कार्य सदइच्छा से हों

रहें दूर बुराइयों से |

यही नियामत मिली 

तुमको इस जन्म में

 पूर्व जन्म में किये सदकर्मों का फल 

यहीं दिखाई देता है |

जिसकी छाया इस जन्म में

  दिखाई दी है|

इसी सरलता से तुमने जीता

 सारी कठिनाइयों को 

प्रभु के सदा करीब रहे

कभी दूर न हो पाए

 उसके वरद हस्त से 

उसके चरणों के स्पर्श से |

तुमने जीत लिया 

दुनियादारी के प्रपंचों को | 

 आशा 

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा सौभाग्य हर इंसान का हो यही प्रार्थना है ! सुन्दर रचना सद्भावनाओं से भरी हुई ! बहुत खूब !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए

    जवाब देंहटाएं

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