खारा जल समुन्दर का इतना
रहा बटोही प्यासा
प्यासा आया गया भी प्यासा ही
मन में मलाल बढाया |
सोचा यूँ ही समय बर्बाद
किया
जल की एक बूँद का भी यदि
उपयोग कर लिया होता
तनिक भी दुःख न होता |
पर फिर भी सोचा
क्या लाभ इतने खारे जल का
फिर घिरा अनगिनत सवालों से
उनके उत्तरों से |
देखा कई सवाल अभी भी थे अनुत्तरित
पर मिले उत्तरों से जो
संतुष्टि मिली
मेरी क्षुधा तृप्त हो पाई
मुझे अपनी जल्दबाजी पर हँसी
आई |
किसी निष्कर्ष तक पहुँचने
में
जल्दबाजी किस लिए
यदि मन में धैर्य न हो
किसी को छेड़ना नहीं चाहिए |
आशा
समुद्र का यही खारा जल भाप बन जाने के बाद सारे संसार को मीठे जल से प्लावित कर देता है ! सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |