24 अप्रैल, 2022

 

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इजहार -
इजहारेदिल किया उसने

बिना किसी संकोच के
प्रतिउत्तर में वह हारी बेचारी

कहा गया मुह फट उसे |

मन को किसी के आगे खोलना

अपनी बात का इजहार करना

कोई गुनाह है तब हाँ उसने गुनाह किया

पहले किसी ने बरजा नहीं उसे |

तब उसे स्पष्टवक्ता कहा जाता था

मन में जो सोचती थी

वही उसके शब्दों में झलकती थी

तारीफों की कमीं न थी तब

शब्दों की कमी हो जाती थी

उसके तारीफों के कशीदे पढ़ते |

पर अब कहा जाता है

तुम बच्ची नहीं हो जब मंह खोलो

सोच समझ कर बोला करो

अपनी हद न छोड़ा करो |

आशा

आशा

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