माना तुम हो हसीन
किसी से कम नहीं
पर यह खूबसूरती जाने कब बीत जाएगी
यह भी तो पता नहीं |
तुम सोचती ही रह जाओगी
जब दर्पण में अपना बदला हुआ रूप देखोगी
मन को बड़ा झटका लगेगा
कहाँ गया यह रूप योवन
जान तक न पाओगी |
एक दिन तो बुढापा आना ही है
कोई न बच पाया इससे
तुम यह भी न जान पाओगी |
योवन तो क्षणिक होता है
कब आता है जीवन से विदा हो जाता है
कुछ दिन ही टिक पाता है |
यही हाल है बचपन का
जीवन में ये दिन बड़ी मस्ती के होते हैं
कई बातें तो भूल भी जाते हैं
पर जितनी यादे रह जाती है
ताउम्र बनी रहतीं है
यादों की धरोहर में सिमट कर
जीवन का रंगीन पहलू दिखाई देता है उनमें | सबसे कठिन है वृद्धावस्था में जीवन व्यापन
अपने को जीवित समझना उसके अनुकूल ही समझते रहना सदा खुश रहना
मन में किसी को झांकने न देना
अपने दुःख सुख किसी से न बांटना
यही है इस काल में जीने की कला |
आशा
जीवन का यथार्थ यही है बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंThanks for your info rmation
जवाब देंहटाएंवाह!भावपूर्ण
जवाब देंहटाएं1hanks tor comment
हटाएंउम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने ! वृद्धावस्था में असहायता और अनिवार्य निष्क्रियता के साथ लोगों के असहयोग को मुस्कुराते हुए झेलना जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है !
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