31 मई, 2022

जीवन जीने की कला


 


माना तुम हो हसीन

 किसी से कम नहीं

पर यह खूबसूरती जाने कब बीत जाएगी

यह भी तो पता नहीं |

 तुम सोचती ही रह जाओगी  

जब दर्पण में अपना बदला हुआ रूप देखोगी

मन को बड़ा झटका लगेगा   

कहाँ गया  यह  रूप योवन  

जान तक न पाओगी |

एक दिन तो बुढापा आना ही है

कोई न बच पाया इससे

तुम यह भी न  जान पाओगी |

योवन तो क्षणिक होता है

कब आता है जीवन से विदा हो जाता है

कुछ दिन ही टिक पाता है |

यही हाल है बचपन का

जीवन में ये दिन बड़ी मस्ती के होते हैं

कई बातें तो भूल भी जाते हैं

 पर जितनी यादे रह जाती है

ताउम्र बनी रहतीं है

 यादों की धरोहर में सिमट कर 

जीवन का रंगीन पहलू दिखाई देता है उनमें |  सबसे कठिन  है वृद्धावस्था में जीवन व्यापन  

अपने को जीवित समझना उसके अनुकूल ही समझते रहना सदा खुश रहना

मन में किसी को झांकने न देना

अपने दुःख सुख किसी से न बांटना

यही है इस काल में जीने की कला | 

आशा  


6 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन का यथार्थ यही है बेहतरीन रचना

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  2. बिलकुल सही कहा आपने ! वृद्धावस्था में असहायता और अनिवार्य निष्क्रियता के साथ लोगों के असहयोग को मुस्कुराते हुए झेलना जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है !

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