किसी के कहने सुनने से
 कुछ ना होता पर 
जब मन को धुन आए 
बिना कहे रह न पाए | 
मनमोजी होना मन का
 कोई नई बात नहीं है 
पर खुदगर्ज होना है गलत 
यही समझ समझ का है फेर | 
यही बात समझ में आजाए 
मानव मन को संतुष्टि आजाए 
फिर जो चाहे कर पाओगे 
कोई कठिनाई न होगी |
आपस में तालमेल की जरूरत न होगी 
अपने आप सामंजस्य
 हो जाएगा दौनों में |
आशा
 
 
बहुत बढ़िया सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसही राय देती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसुन्दर सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंThanks for the information
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