17 जून, 2022

गुलदस्ता

 

              तुम्हारा स्नेह और दुलार है 

एक गुलदस्ते सा

जिसकी पनाह में पलते 

कई प्रकार के पुष्प |

बहुत प्रसन्न रहते

 एक साथ घूलमिल कर

कोई नहीं रहता अलग थलग 

 मानते एक ही परिवार का सदस्य अपने को |

यही बात मुझे अच्छी लगती 

उस रंगबिरंगे  गुलदस्ते की 

सबके साथ एकसा 

सामान व्यवहार होता वहां 

कोई भेद भाव नहीं आपस में|

वे एक ही बात जानते 

वे बने हैं गुलदस्ते के लिए 

तभी सब मिलजुल कर रहते 

यही गुलदस्ते को देता विशिष्ट स्थान | 

मनभावन पुष्पों को माली सजाता 

  सब को समान  रूप से देखता 

 पुष्पों को रंग के अनुसार सजाता  

वह पुष्प चुनने में सहायक होता

मुझे उस में तुम्हारा   

ममता भरा चेहरा दीखता 

यही आकलन है मेरा तुम में 

 तुम गुलदस्ते सी हो

परिवार के लिए | 

आशा  

 


 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-06-2022) को चर्चा मंच     "अमलतास के झूमर"  (चर्चा अंक 4464)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  2. वाह सत्य कथन
    परिवार रूपी बगिया
    के सारे सदस्यों से
    निर्मित होता गुलदस्ता
    और उन्हें एक सूत्र में
    बांधती माता

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  3. मां ,स्त्री पूरे परिवार को गुलदस्ते सा बांधे रखती है। सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं

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