11 जुलाई, 2022

रिश्ते कैसे कैसे



सागर सी गहराई होती रिश्तों में

सतही नहीं हों तो अधिक अच्छा है 

जब गहराई उनकी नापोगे समझ जाओगे

क्या है आवश्यक उन्हें निभाने के लिए |

रिश्ते निभाए जाते हैं अंतस की गहराई से

सतही जब वे  होते  टूटने के कगार पर होते

स्थाई वे हो नहीं सकते ड़ाल हिलाते ही बिखरते

तेज हवा के झोंके उन्हें बिखराते यहाँ वहां |

वे वास्तव में  होते जाते दूर सभी अपनों से

ड़ाल से टूटे हुए सूखे पत्तों जैसे  

यही बिखराव उनका पीले पत्तों सा

मेरे मन को बहुत ठेस पहुंचाता |

किसे कहूं अपना दुःख  जान नहीं पात़ा

रिश्ते माने हुए हों या खून के

पर सच्चे  दिल से जब अपनाए जाते

 तभी रिश्तों के नाम से पहचाने जाते |

जन्म से जुड़े रिश्तों की है और बात

समय आने पर अपनी पहचान का पता देते  

समय  पर अपनेपन का एहसास कराते

कोई अपनों से दूर नहीं हो पाता

समय के साथ  और करीब होता जाता |

जो  रिश्ते बनते मतलब पूर्ण करने को 

वे होते कागज़ के फूलों से दिखावट से भर पूर 

 मतलब निकल जाते ही  वे भी

 पलायन कर जाते पतली गली से |

आशा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1 टिप्पणी:

  1. रिश्तों को उचित तरीके से व्याख्यायित करती बहुत ही सुन्दर रचना ! उम्दा सृजन !

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