20 जुलाई, 2022

मैऔर तेरा ख्याल


ख्याल तेरा मेरे  मन को छू गया 

उलझा रहा मैं  तुझ में ही 

 कितने ही जतन  किये

 बड़ी कठिनाई झेली |

 न भूल पाया  तुझको मैं 

क्षण भर  के लिए भी 

तू मुझे विशिष्ट लगी 

मन के लिए उपयुक्त लगी |

यही विशेषता तेरी  मजबूरी बनी  मेरी 

की कोशिश भरसक  पाने की तुझे 

अपने  दिल की रानी बनाने की ललक 

फिर भी शेष रही मेरी |

तूने जो आदर सम्मान  दिया मुझे

 अपने मन को खोल न पाया मैं 

आहिस्ता से  नजरिया बदला मैंने 

उसकी भनक न लगने दी किसी को  |

बहुत बड़े कदाचार  से बचाया मुझे 

किया मैंने  पश्च्याताप  दिल से 

अब  कोई शिकायत नहीं होगी 

किसी को भी  मुझसे |

मैंने सत्य का मार्ग अपनाया

  आत्म शोधन किया मैंने  

भूले से भी उस राह पर न

 पग रखने की कसम खाई  मैंने |

जिसने मुझे बहकाया था 

पहले  अपना मनोबल भी खो दिया था 

पर  दृढ विश्वास पर अडिग रहा

 अब पहले  सी अस्थिरता नहीं मन में |

मुझे विश्वास है अपने पर 

किसी सलाह  की आवश्यकता  नहीं 

मुझे क्या करना है स्पष्ट है अपनी  आँखों के समक्ष 

उसी पर अडिग  खड़ा हूँ  |

आशा 

 

9 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. वाह बहुत बढ़िया आत्मबल प्रकट करती रचना

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21.7.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4497 में दिया जाएगा
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  4. प्रणाम आदरणीया

    भटकाव से मन में चिंतन द्वारा
    स्वतः उबर जाना
    श्रेष्ठ निर्णय

    सुंदर रचना
    मन के भावों की सहज अभिव्यक्ति

    साधुवाद
    🙏🌹🙏

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  5. मन की दृढ़ता के दर्शन देती सुन्दर अभिव्यक्ति ! बढ़िया रचना !

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