05 जुलाई, 2022

कोई न्याय करे


दिल से मसी बनाई है

विचारों तक उसे पहुंचाई

शब्दों की लेखिनी चुनी है
मन में छिपी भावनाओं के शब्द लिए |
छापे मन के पटल पर
फिर भी कहीं रही कमी
अपने शब्दों को आवाज देने में
अपने दिलवर को मनाने में |
दिल की मसी से लिखा है

अपने मन का सारा हाल

हुआ बेहाल किसी के समक्ष

अपने मन को खोल कर रखने में |

चाह रहा था कोई देखे उसे

पढ़े उसका मनन करे

फिर अपनी तरफ से

फैसले पर मोहर लगाए

 खुद के विचार प्रस्तुत करे |

तभी तो निष्पक्ष निर्णय हो पाएगा

बिना लाग लपेट के फेसला हो पाएगा

 वही निर्णय होगा मान्य मुझे

जिसमें किसी की बैसाखी न होगी साथ  |

 किसी की सलाह की गंध नही आएगी

अपने मन में क्या निर्णय किया 

यह भी स्पष्ट हो जाएगा 

तुम्हारे मन में क्या विष  घुला है 

यह किसकी  शरारत है |

आशा 


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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