06 जुलाई, 2022

स्वप्न क्या करते





 






                स्वप्नों का आज कल

जीवन पर पड़ता गहरा प्रभाव

यदि केवल  दिल से सोचा

दिमाग से न  काम लिया |

भावुक और कमजोर लोग

बह जाते उस बहाव में

कभी कभी  बहाव में  

अपना आपा भी खो देते  |

यहीं बातों को तूल मिलता

हवा भी बढ़ावा देती जन मत की

कभी विश्वास भी उठ जाता

अपने सोच पर से |

लगने लगता सारा जग एक  

 फरेवों की दुकान सा

अब सुविचारों पर से भी

 दूर हटा  मन मेरा  |

वह कैसे जिए खोखले

आदर्शों पर निर्भर हो कर

जब कोई फल नहीं मिलता

हो किसी प्रकार का अच्छा या बुरा

 मुझे  कोई फर्क नहीं पड़ता |

मन के जख्म भरने का

 एक ही साधन था स्वप्नों का  

अब उसने भी साथ छोड़ा  

मेरी खुशियों से बैर पाला |

जब जन्म लिया इस धरती पर

मरना भी है यहीं

पञ्च तत्वों में विलीन होना है

फिर माया मोह कैसा |

पूर्व जन्म के कर्म फलों से भी  

भ़ागा  नहीं  जा सकता

यही सब सामने है मेरे

शायद यही है प्रारब्ध मेरा |

आशा

5 टिप्‍पणियां:

  1. मन की कशमकश की सुन्दर अभिव्यक्ति ! स्वयं को किसी भी भ्रम में न रख कर एकनिष्ठ हो अपने लक्ष्य पर टिके रहने में ही जीवन की सार्थकता है !

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  2. मेरी रचना की सूचना के लिए आभार रवीन्द्र जी |

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  3. पूर्व जन्म के कर्म फलों से भी
    भ़ागा नहीं जा सकता
    यही सब सामने है मेरे
    शायद यही है प्रारब्ध मेरा |
    .. .. कभी-कभार ऐसा कुछ घटित होता है तो मानना पड़ता है कि शायद इसी को प्रारब्ध कहते हैं

    जवाब देंहटाएं

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