07 जुलाई, 2022

आत्म मंथन करो


 

अपने मन के  पापों  को

किसी और पर मत थोपो

जब भी झांको अपने अन्दर

सही विचार को जन्म दो |

झूट सच में जब भी उलझोगे

खुद को ही हानि पहुँचाओगे

कभी समस्याओं से उभर न पाओगे

उलझ कर ही रह जाओगे  |

जीवन दिखता है पहाड़ सा

पर कट जाता है क्षण भर में   

क्या करना है क्या नहीं

इनमें ही उलझे रह जाओगे |

खुद पर इतना विश्वास रखो  

अपने  कर्तव्यों से पीछे नहीं हटो

अधिकार तुम्हारे हैं सुरक्षित

उनको कोई छीन नही सकता |

जिसने भी ऐसा कदम उठाया

उस पर भी ऐसा समय आएगा

चिंता न करो ईश्वर सब देख रहा  

होनी में कुछ देर है अंधेर नहीं है |

 जितनी गलतफैमियाँ पाली  है   

 वे देर सवेर सभी सामने आएंगी  

उसके मन को कष्ट पहुंचाएंगी

पर बीता हुआ कल लौट न पाएगा |

माना है वह गुणों की धनी

पर झूठा अहम भरा कण कण में 

खुद को सर्वश्रेष्ठ समझती है

यही कमीं रही उसमें |

आशा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

  

 

 

 

 

  

 

 

  

 

 

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