कोई दिल्लगी नहीं है कोई दिखावा नहीं है
मैंने सच्चे दिल से प्यार किया था तुमसे
तुमने मुझे जाना नहीं पहचान हुई जब तुम से |
तुम पहचानो या मुझे भूल जाओ
पर मेरे मन में गहराई से छिपा है प्यार तुम्हारा
शब्दों की दरकार नहीं है उसे किसी को समझाने में |
मुझे आवश्यकता नहीं खुद की उपस्थिति की
तुम्हारे दिल में जगह बनाने में
सच्चा हो या दिखावा मात्र तो प्यार ही है नही कोई छलावा
जब दिल में आग लगी हो दोनों ओर बराबरी से
कोई आवश्यकता नहीं होती किसी प्रमाणपत्र की |
जो जैसा मन का भाव रखेगा वैसा ही फल पाएगा
स्वच्छ मन को धोखा न मिलेगा यही सब सुना मैंने |
मन भटकता नहीं मेरा आत्म विश्वास प्रवल है
ईश्वर से लगाव मुझे है कभी कोई न कदम भटकैगा
कभी प्यार का चिराग जलाने का
प्यार भरा वादा किया है खुद से मैंने
उसका क्या महत्व है मेरे जीवन में
यही बात बता कर मन को बहकाया है |
आशा सक्सेना
सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
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