03 अगस्त, 2022

तेरी तस्वीर


 

तेरी तस्वीर मेरा मन में

कुछ ऎसी समाई कि

उससे छुटकारा न पाने की

 मैंने कसम सी  खाई |

जब भी मैं कहीं जाती 

तेरी यादों मैं खोई रहती

इस तरह कि मैं भूल ही जाती

 क्या करने आई थी क्या कर डाला |

यही  बेखुदी मुझे खुद की  समस्याओं में

उलझाए रखती उबरने न देती

अपने आप में समेटे रखती

मुझे असामाजिक बनाती जाती |

मैं कहीं की न रहती

उलझनों में फंसी रहती

सब की दृष्टि में गिर जाती

किसी से नजरें न मिला पाती |

आशा

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