04 अगस्त, 2022

यही है प्यार की रीत


 


कभी पास आना आकर दूर चले जाना
कितनी खुशामद करवाना फिर भी न खुश होना
जब होता असंतोष का गीत
यही है प्यार की रीत |
मैंने कभी न चाहा तुम्हारा प्यार मिले
पर वरद हस्त का मुझे उपहार अवश्य मिले
जब भी चाहूँ मेरी मदद के लिए आजाओ
यही होगा बहुत उपकार मुझ पर |
इसी लिए जीने की चाह रहती मुझको
न कोई चाहत न लागलपेट है मुझको
नहीं चाहती मुझे किसी का अधिकार छीनूँ
मेरा अधिकार ही मिल जाए जिसकी अपेक्षा रही मुझे |
आशा

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