समस्याओं की खोज में जुटे
तब एक भी समस्या न हुई
|कभी जिन्दगी बेरंग न हुई
जब खुद को सक्षम पाया मैंने
यदि होती दृढ़ता मुझ में तुम में
कोई गला नहीं पकड़ता बिना बात
सारी शिकायतें दूर होती चुटकी में |
जान गई हूँ डरने से कोई लाभ न होता
हिम्मत से तार जुड़ते जाते है
कोई उंगली उठा नहीं सकता
किसी गलत या सही शिकायत पर
बस झटका जरूर लगता है दिल पर |
क्या हमारी इतनी औकात न थी
हमने क्या किया था बता पाते
पर हमारे हाथ में कुछ न था
अब बेकस मजबूर हो कर रह गए थे |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9 -8-22} को "कान्हा इक उज्ज्वल प्रकाश सा"( चर्चा अंक 4516) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
Thanks for the information of my post
हटाएंयदि होती दृढ़ता मुझमें तुममें बहुत सुंदर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंसाहस एवं उम्मीद से भरी रचना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
क्या बात है ! बढ़िया अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसाधना टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
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