08 अगस्त, 2022

हम जैसा कोई नहीं




जब  से साथ रहे जाने कितनी
समस्याओं की खोज में जुटे 

तब एक भी समस्या न हुई  

|कभी जिन्दगी बेरंग न हुई 

                                                                 जब खुद को सक्षम पाया मैंने

यदि होती  दृढ़ता  मुझ में  तुम में 

कोई गला नहीं पकड़ता बिना बात 

सारी शिकायतें  दूर होती  चुटकी में |

जान गई हूँ डरने से कोई लाभ न होता 

हिम्मत से तार  जुड़ते जाते है 

कोई उंगली उठा नहीं सकता 

किसी गलत या सही  शिकायत पर 

बस झटका जरूर लगता है दिल पर |

क्या हमारी इतनी औकात न थी 

हमने क्या किया था बता पाते

                                                                   पर हमारे हाथ  में कुछ न था 

अब बेकस मजबूर हो कर रह गए थे |

आशा 




7 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9 -8-22} को "कान्हा इक उज्ज्वल प्रकाश सा"( चर्चा अंक 4516) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. यदि होती दृढ़ता मुझमें तुममें बहुत सुंदर पंक्तियां

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  3. साहस एवं उम्मीद से भरी रचना !
    सुन्दर !

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  4. क्या बात है ! बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  5. साधना टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

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