13 सितंबर, 2022

मेरा उद्देश्य

 

लिए चौमुख दियना हाथ में

दिया ढका आँचल से

बचाया उसे हलकी बयार से

  चली साथ में रौशन हुआ समस्त मार्ग 

  आवश्यक नहीं कोई 

 अन्य रौशनी के स्रोत का  

दिग दिगंत चमका देदीप्तिमान हुआ

आगे जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ

फिर क्यों पलट कर पीछे देखूं  |

आगे बढ़ने की चाह में

कोई नहीं व्यब्धान चाहिए

 कोई बाधा उत्पन्न हो यदि उसे दूर हटाना ही है ध्येय मेरे जीवन का

 कभी पीछे न हटने की कसम खाई है |

 जब जीवन के उद्देश्य में सफल रही   

यही होगी पूर्ण सफलता मेरी

मुझे हार मंजूर नहीं

 दिल मेरा टूट जाएगा

फिर जीवंत न हो पाएगा |

एक यही चाह मन में रह जाएगी

कि इस छोटे से 

जीवन काल  में

आगे बढूँ बढ़ती चलूँ

 बिना किसी बाधा के

अपने लक्ष्य तक पहुंचूं

 अपना मंतव्य पूर्ण करूं |

है यही अरमान मेरा 

किसी बाधा से नहीं डरूं

जो भी बीच में आए

 उसे वही समाप्त करूं

 मार्ग अपना प्रशस्त करूं |

कभी हार न मानूं किसी से

अपने ही मार्ग पर चलती चलूँ

ना किसी का अधिकार छीनूँ

ना उसे अपना अधिकार का

 अधिग्रहण करने दूं|

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. है यही अरमान मेरा

    किसी बाधा से नहीं डरूं

    जो भी बीच में आए

    उसे वही समाप्त करूं

    मार्ग अपना प्रशस्त करूं |
    सुंदर पंक्तियाँ आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं

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