15 अक्टूबर, 2022

तुम कैसे भूले


 

जब बांह थामीं थी मेरी

वादा किया था साथ निभाने का

जन्म जन्मान्तर तक 

मध्य मार्ग में  क्यूं छोड़ा |

आशा न की थी वादा  

जो साथ निभाने का था

 उस वादे का क्या

जो सात जन्मों तक

 निभाने का था |

उसका क्या

यह तो न्याय नहीं

मझधार में मुझे छोड़ा

कैसे कच्चे धागों को

अधर में छोड़ा

यह भी न सोचा

मेरा अब क्या होगा |

 जब जीवन की कठिन डगर

एक साथ पार की

जब सारी जिम्मेंदारी

एक साथ मिल कर पार की

फिर जीवन से क्यों घबराए

मुझे भी तुम्हारे संबल की तो

आवश्य्कता थी तुम्हारी

यह तुम कैसे भूले |

आशा सक्सेना 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (16-10-22} को "नभ है मेघाछन्न" (चर्चा अंक-4583) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 16 अक्टूबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  3. ब्रजेन्द्र नाथ जी आपको बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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