किसी से किसी की
शिकायत न कीजिए
मन असंतुलित होजाएगा
यही हाल यदि रहा
जीवन बेरंग होजाएगा |
कहा सुना भूल जाइए
मन का मेल यदि धुल गया
जीवन में शान्ति का
आगमन होगा |
यही है सबसे आवश्यक
सुखमय जीवन के लिए
जीवन हो सुखद जान लीजिये
यही है आवश्यक
क्षणिक जीवन के लिए |
कब नयन बंद हो जाए
कोई नहीं जानता
पहले से सतर्क रहिये
खुद कोई गलती न कीजिए |
यदि अपनी सीमा छोड़ी
जीवन भर पछताने के सिवाय
कुछ भी हांसिल न होगा
हाथ मलते रह जाओगे |
आशा सक्सेना
बहुत सुन्दर सन्देश देती बहुत अच्छी रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंधन्यवाद साधना टिपण्णी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएं