31 अक्तूबर, 2022

सावरा सलोना प्यारा सा कान्हां

 

 


                                         अचानक कान्हां रोवन लागा 

 चुप न  होने की कसम खाई हो जैसे

यशोदा माँ ने सब को हटाया कक्ष से

पर शिव को न हटा पाया उस ने |

 अपने प्रभू के दर्शन की जिद ठान बैठे थे वे भी 

भेष बदला शिव ने एक ग्राम बधु जैसा अपना  

गोदी में श्याम को बैठाया

एक दम रोना गायब हो गया

शिव की साध पूरी हुई जब दर्शन हुए

 एक आंसू की बूँद न गिरी नेत्रों से

 इस तरह मंशा पूरी हो पाई शिव जी की |

सावला सलोना प्यारा सा श्याम 

राधा रानी बरसाने की शान

जल भरण जब निकलती घर से

सर पर मटकी लेकर   

ग्वाल बाल सब पीछे लागे

जब कंकड़ी मारी 

मटकी भरी जल की फोड़ी

 गोपियों ने  शिकायतें की कान्हां की 

यशोदा ने एक न मानी उनकी 

पर जब पुरवासी शिकायते ले आए

श्याम ने नकार दिया मस्ती में |

श्याम ने बरजा माँ को भी झूठा ठहराया 

और छिप गया उनकी गोदी में 

ऐसी है बाल लीला श्याम की 

जो सुनी थी  मैंने अपनी माँ से|  

 आशा सक्सेना 


 

 

   

4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (1-11-22} को "दीप जलते रहे"(चर्चा अंक-4598) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. श्याम ने बरजा माँ को भी झूठा ठहराया

    और छिप गया उनकी गोदी में

    ऐसी है बाल लीला श्याम की

    जो सुनी थी मैंने अपनी माँ से|

    अद्भुत

    जवाब देंहटाएं
  3. श्याम साँँवरे की लीलाओं का तो कहना ही क्या ! जितना सुनो मन आनंद से विभोर होता जाता है !

    जवाब देंहटाएं

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