29 नवंबर, 2022

बचपन

 

 कहाँ  से आया वह 

 भोला भाला  प्यारा सा बचपन 

किसी ने न ध्यान  दिया उस पर  

वह धूल में खेला सड़क पर दौड़ा

तब किसी ने  न टोका उसको  |

कभी टोकने पर प्रलय ही मचा दी उसने

हंसने रोने में अंतर न समझा

किसको प्यार करे या न करे

 उसको यह भी पता नहीं |

क्या सच में वह भी  दुनिया की रीत नहीं जानता

केवल अपने तक ही सीमित रहता

या किसी प्रलोभन में फँस जाता

बचपन में कुछ विभेद न कर पाता  |

कौन अपना कौन पराया

मन से मीठे बोल बोलता

मुझे पुष्प ही अच्छा लगता

काश वह  लौट कर आता |

ऐसा बचपन खोजे न मिलता

जो माँ का प्यार ही समझता

पिता से दूरी भी  न सह पाता

उसने  अपने पराए का अंतर न जाना |

  नहीं चाहता अपने प्यार को  किसी से  बांटना

उसे बड़ा दुःख होता जब कोई बाधा बन कर आता

उससे प्रतिस्पर्धा चाहता

 यह है एकाधिकार का मांमला

उसको कोई समझ न पाता |

आशा

 

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