03 नवंबर, 2022

मेरे ख्याल से

 

तुम्हारे सारे सपने बेमानी हुए

जब भी झाँका तुमने अपने विगत में

जब  झूट या सच से हाथ मिलाया

अपने को इन प्रश्नों में उलझा पाया |

खुद न सोच सके इनका हश्र क्या होगा

इनमें फँस कर क्या होगा

कभी खुद पर नाराज हुए और

 तल्खी आई खुद के ही व्यवहार में |

यह अनिश्चितता तुम्हें सुख से सोने न देती

नाही कुछ अच्छा होने देती

तुम घिरे रहते इस झंजावात में

पार न हो पाते इन सब की उलझनों से |

तुमने क्या सोचा क्या चाहा

जब तुम ही न निश्चित कर पाए

कौन करेगा कोशिश तुम्हारे पास आने की

तुम्हें जज्बातों से बाहर निकालने की |

मेरे ख्याल से तुम हुए अब लाइलाज

किसी भी डाक्टर के बस के नहीं

यदि खुद को न सम्हाला अब भी

नतीजा  होगा घातक तुम्हारे लिए |

आशा सक्सेना


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