जब झांक कर देखा बीते कल  में 
 पाया जीवन है दुःखों भरी कठिन राह   
कहाँ पहुँचने की तमन्ना थी राह कठिन
यह कभी न सोचा अपनी ही वाह्वाई चाही |
यह भी भूलीं आगे बढ़ने के लिए 
किसने साथ दिया था तुम्हारा  
शायद ही कोई पल ऐसा हो 
जब कोई आगे बढ़ने में बाधक हुआ हो |
जब भी पलट कर झांकोगी विगत में 
सोचोगी महसूस करोगी 
जानोंगी तुम कहाँ गलत थीं  
पर समय तब तक बीत गया होगा |
बापिस लौट कर न आएगा 
तब मन को ठेस लगेगी 
होगी बहुत अशांति तब
खुशहाल जीवन जीना कठिन होगा |
तब तुम्हें एहसास होगा
किसके बहकावें में आईं
तुम कहाँ गलत थीं
 आसपास जब  देखोगी 
तब तक समय का चक्र
 आगे बढ़ चुका होगा 
तुम हाथ मलती रह जाओगी  |
तुम्हारे मन में पछतावा होगा
 उस काँटों की राह पर चल कर 
उस मार्ग पर न चल पाओगी
जिसे चुना तुमने हमने
अब सारी जिम्मेदारी किस पर है |
जीवन है काटों की विरासत पर चलना
जब कष्ट पहुंचे धबराना पीछे पलटना
हर दिन सुखदायक नहीं होता
 यह तुम जानती हो 
दुःख की डाली पर कभी
चंद दिन ही होते सुखद
यही सत्य जो मन को
अच्छा न लगता |
आशा सक्सेना  
 
 
वाह वाह ! बहुत ही सुन्दर, सार्थक एवं प्रेरणादायी सृजन ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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