04 नवंबर, 2022

जीवन का कटु सत्य


जब झांक कर देखा बीते कल  में

 पाया जीवन है दुःखों भरी कठिन राह   

कहाँ पहुँचने की तमन्ना थी राह कठिन

यह कभी न सोचा अपनी ही वाह्वाई चाही |

यह भी भूलीं आगे बढ़ने के लिए

किसने साथ दिया था तुम्हारा  

शायद ही कोई पल ऐसा हो

जब कोई आगे बढ़ने में बाधक हुआ हो |

जब भी पलट कर झांकोगी विगत में

सोचोगी महसूस करोगी

जानोंगी तुम कहाँ गलत थीं  

पर समय तब तक बीत गया होगा |

बापिस लौट कर न आएगा

तब मन को ठेस लगेगी

होगी बहुत अशांति तब 

खुशहाल जीवन जीना कठिन होगा |

तब तुम्हें एहसास होगा

 किसके बहकावें में आईं

तुम कहाँ गलत थीं

 आसपास जब  देखोगी

 तब तक समय का चक्र

 आगे बढ़ चुका होगा

तुम हाथ मलती रह जाओगी  |

तुम्हारे मन में पछतावा होगा

 उस काँटों की राह पर चल कर

उस मार्ग पर न चल पाओगी 

जिसे चुना तुमने हमने 

अब सारी जिम्मेदारी किस पर है |

जीवन है काटों की विरासत पर चलना

जब कष्ट पहुंचे धबराना पीछे पलटना 

हर दिन सुखदायक नहीं होता

 यह तुम जानती हो

दुःख की डाली पर कभी

 चंद दिन ही होते सुखद   

यही सत्य जो मन को 

अच्छा न लगता  |

आशा सक्सेना  

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