24 नवंबर, 2022

जंगल में मंगल

 मौसम बहुत अच्छा था पर दिन भर घर में ही रहना पड़ रहा था कोरोना महामारी के कारण |मैंने सोचा क्यूँ न जंगल की सैर को जाएं |जल्दी से थोड़ा नाश्ता बनाया और सब तैयार हो गए  जाने के लिए |पर अभी तक यह तो सोचा ही नहीं किस ओर प्रस्थान किया जाए |पास ही सरोवर था और वहां भी पानी था अथाह|कुछ दिन पहले ही बाँध के तीन गेट खोले गए पानी का प्रवाह बहुत तेज हो गया था |  हमने सोचा पहले आसपास घूम लिया जाए फिर झरने के पास बैठ कर भोजन करेंगे |बच्चों ने दौड़ भाग कर थकान का आनंद ले लिया था |अब वे नहीं चाहते थे आगे जाने के लिए |एक पेड़ के नीचे दरी बिछाई  गई  और जिसे बैठना था वह  वहीं रुक गए पर हम जंगल के अन्दर घूमने निकल गए |अचानक हिरणों का एक समूह खेत में घूमता नजर आया |बच्चे अपनी थकान  भूल उनके पास पहुँचने का यत्न करने  लगे |अब वहां बैठना हुआ कठिन |एक ओर बाँध का पानी दूसरी ओर जंगली जानवर |कुछ दूर ही हाथियों का समूह नजर आया जो सरोवर की ओर जा रहा था पानी पीने उनमें दो बच्चे भी थे |
हाथियों के छोटे छोटे बच्चे बहुत सुन्दर दिख रहे थे एक घना पीपल का पेड़ था वहां से कोलाहल सुनाई दे रहा था पक्षियों का |बच्चे बेहद खुश हुए कई पक्षियों की चहचहाहट सुनकर ||अब शाम हो रही थी जल्दी से सारा सामान इकठ्ठा किया और घर की ओर चल दिए |रास्ते में खेत से ताजे भुट्टे खरीदे और घर आकर सिगड़ी पर उन्हे सेक कर सब ने खूब मजा लिया गर्मागर्म भुट्टों  का | दिन  कहाँ समाप्त हो गया मालूम ही नहीं पड़ा|



1 टिप्पणी:

  1. अरे वाह ! यह तो बहुत ही आनंददायक पिकनिक हो गयी ! प्राकृतिक दृश्यों का मनोहारी चित्रण ! सुन्दर संस्मरण साझा करने के लिए धन्यवाद !

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