06 नवंबर, 2022

साहित्य के सागर में

 


                 साहित्य के गहरे सागर में

जब भी कदम बढाए आगे

किसी न किसी उर्मी ने

 सामना किया रोकना चाहा |

पहले तो भयभीत हुए

धीरज रखा सावधान हुए

फिर भी नहीं अनजान

सागर की गहराई से |

उस नई  विधा को छूने की

कितनी बार कोशिश भी की

पर परिपक्व न हो पाए

उसका चेक भुनाने में |

अब मन बेलगाम हुआ

फिर से भागा उसके पीछे

उस को अपनाने की कोशिश में

घबराया नहीं धैर्यवान रहा |

अब तो यह गलत फहमीं भी दूर हुई

कि हम सब कर सकते है

इतना सोच आगे बढ़ा कि

मन को बड़ा  सुकून मिला  |

फिरऔर भी कोशिश करते रहे

और सफल हुए इस परीक्षा  में भी  

फिर किसी अन्य विधा को अपनाया

उस में भी खुद को सबसे आगे पाया |

मन में प्रसन्नता की सीमा न रही

हर्षित हुए अंतर मन से

सराबोर हुए साहित्य के सागर में

 श्रोताओं की ओर से प्रशंसा मिली|

जिसकी खोज में डूबते  उतराते  गए  रहे सरोवर की गहराई में

 साथ मिला मछलियों और जलचरों का

तारीफों के इतने पुल बंधे

 कि खुशियों में डूबते गए |  

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ! निरंतर अभ्यास से क्या नहीं सीखा जा सकता ! कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ! सार्थक सृजन !

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  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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