जब भी कदम बढाए आगे
किसी न किसी उर्मी ने
सामना किया रोकना चाहा |
पहले तो भयभीत हुए
धीरज रखा सावधान हुए
फिर भी नहीं अनजान
सागर की गहराई से |
उस नई विधा को छूने की
कितनी बार कोशिश भी की
पर परिपक्व न हो पाए
उसका चेक भुनाने में |
अब मन बेलगाम हुआ
फिर से भागा उसके पीछे
उस को अपनाने की कोशिश में
घबराया नहीं धैर्यवान रहा |
अब तो यह गलत फहमीं भी दूर हुई
कि हम सब कर सकते है
इतना सोच आगे बढ़ा कि
मन को बड़ा सुकून मिला |
फिरऔर भी कोशिश करते रहे
और सफल हुए इस परीक्षा में भी
फिर किसी अन्य विधा को अपनाया
उस में भी खुद को सबसे आगे पाया |
मन में प्रसन्नता की सीमा न रही
हर्षित हुए अंतर मन से
सराबोर हुए साहित्य के सागर में
श्रोताओं की ओर से प्रशंसा मिली|
जिसकी खोज में डूबते उतराते गए रहे सरोवर की गहराई में
साथ मिला मछलियों और जलचरों का
तारीफों के इतने पुल बंधे
कि खुशियों में डूबते गए |
बहुत बढ़िया ! निरंतर अभ्यास से क्या नहीं सीखा जा सकता ! कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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