जीवन में कितने ही सम्बन्ध गहरे
नहीं होते
केवल मात्र दिखावा होते उनमें कोई सत्यता नहीं
चाहत भी सतही होती जिसे देख
नहीं पाते
केवल महसूस कर पाते जब समाज
में रहते |
तब मन को बड़ा कष्ट होता मन
विचलित होता
एकांत वास का इच्छुक होता
जीवन
में शान्ति पाना चाहता
पहले जैसा जीवन चाहता|
आशा सक्सेना
कदाचित ऐसा अनुभव सभीको होता है ! बहुत खूब !
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