10 दिसंबर, 2022

वे भी रहीं सतही


  

जीवन में कितने ही सम्बन्ध गहरे नहीं होते 

 केवल मात्र दिखावा होते उनमें कोई सत्यता नहीं  

चाहत भी सतही होती जिसे देख नहीं पाते

केवल महसूस कर पाते जब समाज में रहते |

तब मन को बड़ा कष्ट होता मन विचलित होता

एकांत वास का इच्छुक होता 

जीवन में शान्ति पाना चाहता

पहले जैसा जीवन चाहता|

आशा सक्सेना 


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