09 दिसंबर, 2022

मित्रता तुमसे

 

कब तक परखोगे  मुझ को

मुझ सा कोई नहीं मिलेगा तुम्हें    

हूँ एक अकेला जीव ऐसा

जब तक  तुमसे नहीं जीता

 मुझे नहीं  मिली  सुख की छाया |

यह एक दिन की बात नहीं

कितने ही कदम  बढ़ाए मैंने

जब तब दो दो हाथ  किये

आकलन  जब खुद न कर पाया

संभल चाहा तुम जैसों का

 तुम भी मुझे समझ न पाए

मुझे हुआ दुःख इस बात का |

 मेरी अपेक्षा में आशा के अलावा

गलत क्या और सही क्या है

 तुम  यह तो बताओ

केवल ख्याली पुलाव न पकाओ

इससे मुझे गहरा दुःख होगा

तुम पर से भी मेरा विश्वास उठ जाएगा

 मित्र जैसा कोई न नजर आएगा |

 

 

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