08 दिसंबर, 2022

जब भोर हुई


 

जब भोर हुई

सारी कायनात महकी

अनोखी लगी पत्तियों फूलों की महक

पक्षियों  का मधुर स्वर

पंछियों  का प्रेम हरियाली से

जब देखी माली ने

उसकी मेहनत ने रंग दिखाया

उसको गर्व हुआ खुद पर

 कोई कमी ना छोड़ी उसने

पौधों की सेवा में |

लोगों ने उसे दिया एक तोहफा 

मिली  एक उपाधि पेड़ो के पिता की

सब आते सुबह और शाम घूमने

 जब  मन से तारीफें करते माली की

दिल उसका बाग़ बाग़ होता

वह भूला अपनी मेहनत  अपार प्रसन्न हुआ

उसे जो खुशी  मिली बाँट रहा सब से |

सूर्य किरणें खेल रहीं पास के जल  में

खेल रहीं नवल  फूलों  से  |

आशा 

 

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बागबान को सच्ची खुशी अपने हाथों से लगाये उपवन के फलने फूलने पर होती है।सुन्दर और जीवन्त शब्द चित्र आशा जी।सरल और सहज अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें 🙏

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  2. वाह वाह ! बहुत ही श्रेष्ठ सृजन ! अति सुन्दर !

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