10 दिसंबर, 2022

प्यार की चाह

 

प्यार  की चाह

यदि प्यार की एक झलक भी

उसने  देखी होती खुशियाँ छातीं

जीवन में रवानी आ जाती

किसी बात में कमीं न रह पाती |

कभी सोचा न था उसने

गिरह में झाँक कर कभी देखा न था    

यह परिवर्तन आया  कैसे

 सूखे गुलाब से भी खुशबू कहीं गुम हो गई उसमें ज़रा भी गंध न रही

कहा तो जाता है गुलाब में हैं गुण अनेक  

वे कभी भी उपयोग में लाए जा सकते |

पर देखा कुछ और जो देखा  मन में

 मलाल आया बड़ा संताप हुआ

जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं

यही क्या कम है कि  वह है यहीं

पर सुगंध कहीं खो गई है |

यदि वह भी होती यहाँ कितना अच्छा होता

जीवन की गति तो कम हो जाती

पर ख़तम न हो पाती |

हुआ उसे एहसास की वह बेनूर हो गई 

मन की शान्ति उसकी कहीं खो गई

बारम्बार अपनी कमियाँ खोजने लगी

  उसके  मन को शांत न रख न पाई |

व्यर्थ ही उलझने बढ़ाई 

सामान्य नहीं  हो पाई

खुद को तो नष्ट किया  

अन्य को भी दुःख पहुंचाया

 चैन से जीने नहीं दिया |

आशा सक्सेना   

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