18 दिसंबर, 2022

जो किताबों में लिखा



                                                     जो भी किताबों में लिखा 

पढ़ न पाया 

न साथी रहा कोई   उसका 

  उसे मन ही मन दोहराए |

कुछ आत्मसात करे 

मस्तिष्क को समृद्ध करे 

 कोई यह तो न कहेगा

 उसे  कुछ भी नहीं आता |

रह जाता ज्ञान  अधूरा  उन के बिना 

  है किताबों से  लगाव  बहुत  

जब मन में संतुष्टि आई 

 मन  प्रसन्न  हुआ |

 किसी को  अंदाजा  ना हुआ 

  उसने  क्या पाया 

सब ने कहा वाह क्या बात है

 लगन हो तो ऐसे  हो |

कोई सुविधा न मिली फिर भी 

पीछे न रहा किसी से 

फिर भी अहम् न आया |

वह  अपने तक ही सीमित रहा  

 इसका भी गम न था उसको 

सभी आश्चर्य चकित थे 

यह कैसे हुआ |

ये दूरियाँ सब से किस लिए 

किसी को मालूम नहीं 

पुस्तकें रहीं घनिष्ठ मित्र उसकी 

  वही रहीं सहायक पर छूपी  रहीं  |

राज  जाहिर न किया सब के समक्ष 

वही थी सहायक   उसकी 

इस प्रगति में |

आशा सक्सेना 


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