19 दिसंबर, 2022

कोई किसी का नहीं होता


कोई किसी का नहीं होता 
केवल मतलब से सब होता 
मन को समझाया भी कितना
पर कुछ हल नजर ना आया |

बे रंग जीवन हुआ तुम्हारे बिना 

अब कोई कार्य शेष नहीं

अपने कर्तव्य पूर्ण किये सारे  

जिसमें व्यस्त हो मन को बहलाऊँ |

मन हुआ उदास आज

  अर्थ क्या बेबजह जीने का

पर यह भी हाथों में नहीं |

जिन्दगी की शाम उतर आई है

कैसे क्या होगा  

है सब तुम्हारे हाथ प्रभू

 भविष्य में क्या घटेगा |

  अकेले जीवन कैसे कटेगा  

छोड़ा मोह सब का फिर भी 

  भाग्य  में जाने  क्या लिखा है 

मुझे नहीं पता है |

आशा सक्सेना 

 

 

  


7 टिप्‍पणियां:

  1. मनुष्य को अपना साथी खुद ही बनना चाहिए ! न किसीसे कोई अपेक्षा हो न किसी पर कोई निर्भरता तब ही जीवन सुचारू रूप से चल पाता है ! सुन्दर अभिव्यक्ति पर नकारात्मकता को पास न आने दें !

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  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  3. तन निर्बल हो जाने से मन को कभी असहाय न समझा जाए ये जीवन का कटु सत्य है

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  4. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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    1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. मित्र तो हैं| धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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