केवल मतलब से सब होता
मन को समझाया भी कितना
पर कुछ हल नजर ना आया |
बे रंग जीवन हुआ तुम्हारे बिना
अब कोई कार्य शेष नहीं
अपने कर्तव्य पूर्ण किये सारे
जिसमें व्यस्त हो मन को बहलाऊँ |
मन हुआ उदास आज
अर्थ क्या बेबजह जीने का
पर यह भी हाथों में नहीं |
जिन्दगी की शाम उतर आई है
कैसे क्या होगा
है सब तुम्हारे हाथ प्रभू
भविष्य
में क्या घटेगा |
अकेले जीवन कैसे कटेगा
छोड़ा मोह सब का फिर भी
भाग्य में जाने क्या लिखा है
मुझे नहीं पता है |
आशा सक्सेना
मनुष्य को अपना साथी खुद ही बनना चाहिए ! न किसीसे कोई अपेक्षा हो न किसी पर कोई निर्भरता तब ही जीवन सुचारू रूप से चल पाता है ! सुन्दर अभिव्यक्ति पर नकारात्मकता को पास न आने दें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंतन निर्बल हो जाने से मन को कभी असहाय न समझा जाए ये जीवन का कटु सत्य है
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हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
जवाब देंहटाएंgreetings from malaysia
let's be friend
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हटाएंमित्र तो हैं| धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
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