कहाँ जाना है क्या है वहां
जो सुख घर में है वहां कहाँ
कितनी बार सोचा था पर
कारण नहीं जान पाई |
जब भी अवकाश होता
बाहर जाने का मन होता
पर जल्दी ही मन उचट जाता
बार बार अपना घर याद आता |
जब कि ऐसा कुछ नया
नहीं देखा जाता वहां
बस मन को संतुष्टि मिल पाती
बाहर जाने की कहानियां सुनाने की |
जब तब मन में होड़ करता रहता वहां की कहानियों में
यही आनंद रह जाता जब लौट कर आते
वहां की कहानियां अपने ही ढंग से कहते
बड़ी खुशी होती वहां की कहानी सुनाने में |
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधनुवाद ज्योती जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंयह तो है ! बाहर जाने की दुनिया देखने की ललक सबको होती है ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी रचना की टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंvery helpful information thank you Visit RushHours.in!
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